गांव के लोग भी बिना डरे उस वृक्ष के नीचे जाने लगे।
जब पाकिस्तान के पागल बिशन सिंह को उसके गांव टोबा टेक सिंह से निकाल कर हिंदुस्तान भेजा जाता है तब वह दोनों देशों की सरहद पर मर जाता है.
अब्दुल को दूर से देखकर झटपट दौड़ उसके पास पहुंच जाया करती थी।
असम विधानसभा में जुमे की नमाज़ का ब्रेक ख़त्म करने पर हंगामा, हिमंत बिस्वा सरमा पर जेडीयू हमलावर
मोती से सामान छीनने लगे। गाय ने मोती को संकट में देख उसको बचाने के लिए दौड़ी।
The narrative weaves with each other the life of various characters, reflecting the exclusive tapestry of Varanasi, within the ghats along the Ganges for the slender lanes pulsating with the city’s history. Having a blend of humour, satire, and social commentary, Kashi Ka Assi
Graphic: Courtesy Amazon This is the imagined-provoking novel composed by Kamleshwar, a renowned Indian author. Initially released in Hindi, the novel delves into the intricate cloth of India’s social and political landscape in the tumultuous duration of partition in 1947. Kamleshwar weaves a narrative that explores the impression of partition over the lives of regular people and the deep-rooted scars it still left over the country’s collective psyche.
उसने रोते हुए कहा-आगे से शरारत नहीं करूंगा।
विशाल ने अगले ही दिन कवच को तालाब में छोड़कर आसपास घूमने लगा।
मोरल – अभ्यास किसी भी कार्य की सफलता की पहली सीढ़ी होती है।
हिंदी check here क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश
भुवाली की इस छोटी-सी कॉटेज में लेटा,लेटा मैं सामने के पहाड़ देखता हूँ। पानी-भरे, सूखे-सूखे बादलों के घेरे देखता हूँ। बिना आँखों के झटक-झटक जाती धुंध के निष्फल प्रयास देखता हूँ और फिर लेटे-लेटे अपने तन का पतझार देखता हूँ। सामने पहाड़ के रूखे हरियाले में कृष्णा सोबती
कहानी के जोबन का उभार और बोल-चाल की दुलहिन का सिंगार किसी देश में किसी राजा के घर एक बेटा था। उसे उसके माँ-बाप और सब घर के लोग कुँवर उदैभान करके पुकारते थे। सचमुच उसके जीवन की जोत में सूरज की एक सोत आ मिली थी। उसका अच्छापन और भला लगना कुछ ऐसा न था जो इंशा अल्ला ख़ाँ
कहानी एक बड़ा सबक देती है कि हमें अपने दोस्तों का चयन बहुत ध्यान से करना चाहिए।